श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  5.20.8 
 
 
एकवेणी अध:शय्या ध्यानं मलिनमम्बरम्।
अस्थानेऽप्युपवासश्च नैतान्यौपयिकानि ते॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  एक वेणी धारण करना, नीचे पृथ्वी पर सोना, चिन्तामग्न रहना, मैले वस्त्र पहनना और बिना उचित कारण के उपवास करना—ये सब बातें तुम्हारे योग्य नहीं हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.