वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन
»
श्लोक 8
श्लोक
5.20.8
एकवेणी अध:शय्या ध्यानं मलिनमम्बरम्।
अस्थानेऽप्युपवासश्च नैतान्यौपयिकानि ते॥ ८॥
अनुवाद
play_arrowpause
एक वेणी धारण करना, नीचे पृथ्वी पर सोना, चिन्तामग्न रहना, मैले वस्त्र पहनना और बिना उचित कारण के उपवास करना—ये सब बातें तुम्हारे योग्य नहीं हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.