एवं चैवमकामां त्वां न च स्प्रक्ष्यामि मैथिलि।
कामं काम: शरीरे मे यथाकामं प्रवर्तताम्॥ ६॥
अनुवाद
मैं तुम्हें यह वचन देता हूँ मैथिली कुमारी, कि इस अवस्था में भी जब तक तुम मुझसे प्यार नहीं करोगी, मैं तुम्हें नहीं छूऊँगा। भले ही कामदेव मेरे शरीर पर मनचाही यातनाएँ क्यों न दे।