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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन
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श्लोक 25
श्लोक
5.20.25
ऋद्धिं ममानुपश्य त्वं श्रियं भद्रे यशस्विनि।
किं करिष्यसि रामेण सुभगे चीरवासिना॥ २५॥
अनुवाद
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हे सौभाग्यवती, सम्मानित और यशस्वी नारी! तुम मेरे धन और ऐश्वर्य की ओर ध्यान दो। हे सुन्दरी! चीर वस्त्र धारण करने वाले श्री राम को लेकर तुम क्या करोगी?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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