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श्लोक 24
श्लोक
5.20.24
ललस्व मयि विस्रब्धा धृष्टमाज्ञापयस्व च।
मत्प्रासादाल्ललन्त्याश्च ललतां बान्धवस्तव॥ २४॥
अनुवाद
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तुम मुझ पर विश्वास करके अपने मनचाहे भोगों का आनंद लो और निर्भय होकर मुझे अपनी सेवा के लिए आज्ञा दो। मेरी कृपा से तुम जैसी रानी के भाई-बन्धु भी इच्छानुसार भोगों का आनंद ले सकते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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