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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 21
श्लोक
5.20.21
इच्छ मां क्रियतामद्य प्रतिकर्म तवोत्तमम्।
सुप्रभाण्यवसज्जन्तां तवांगे भूषणानि हि॥ २१॥
अनुवाद
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मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ कि आज तुम मुझे स्वीकार करो। आज तुम्हारा उत्तम श्रृंगार किया जाए और तुम्हारे शरीर पर चमकीले आभूषण पहनाए जाएँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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