श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  5.20.2 
 
 
मां दृष्ट्वा नागनासोरु गूहमाना स्तनोदरम्।
अदर्शनमिवात्मानं भयान्नेतुं त्वमिच्छसि॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे जाँघ हाथी की सूंड के समान सुंदर है सीते! मुझे देखते ही तुमने अपने स्तनों और उदर को इस तरह ढाँप लिया है जैसे कि डर के मारे तुम खुद को छुपाना चाहती हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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