श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  5.20.18 
 
 
विजित्य पृथिवीं सर्वां नानानगरमालिनीम्।
जनकाय प्रदास्यामि तव हेतोर्विलासिनि॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  विलासिनि! मैं तेरे सुख के लिए विभिन्न नगरों की मालाओं से सुशोभित इस पूरी पृथ्वी को जीतकर राजा जनक को सौंप दूंगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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