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श्लोक 12
श्लोक
5.20.12
इदं ते चारु संजातं यौवनं ह्यतिवर्तते।
यदतीतं पुनर्नैति स्रोत: स्रोतस्विनामिव॥ १२॥
अनुवाद
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यह तुम्हारा नवोदित सुन्दर यौवन समय बीतता जा रहा है। जो समय बीत जाता है, वह नदियों के प्रवाह की तरह फिर से लौटकर नहीं आता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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