श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  5.20.11 
 
 
स्त्रीरत्नमसि मैवं भू: कुरु गात्रेषु भूषणम्।
मां प्राप्य हि कथं वा स्यास्त्वमनर्हा सुविग्रहे॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम स्त्रियों में रत्न हो। इस प्रकार मैले-कुचैले वस्त्र मत पहनो। अपने शरीर को आभूषणों से सजाओ। हे सुंदरी! मुझे पाकर भी तुम गहनों आदि से रहित कैसे रह सकती हो!
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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