श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 20: रावण का सीताजी को प्रलोभन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  5.20.1 
 
 
स तां परिवृतां दीनां निरानन्दां तपस्विनीम्।
साकारैर्मधुरैर्वाक्यैर्न्यदर्शयत रावण:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने दीन-दुखी और आनंदहीन तपस्विनी सीता को राक्षसियों से घिरा हुआ देखकर अपने मन के भाव को प्रकट करने के लिए मीठे वचनों का प्रयोग किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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