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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 17: भयंकर राक्षसियों से घिरी हुई सीता के दर्शन से हनुमान जी का प्रसन्न होना
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श्लोक 31
श्लोक
5.17.31
हर्षजानि च सोऽश्रूणि तां दृष्ट्वा मदिरेक्षणाम्।
मुमोच हनुमांस्तत्र नमश्चक्रे च राघवम्॥ ३१॥
अनुवाद
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हनुमान जी ने सीता जी को वहाँ देखकर खुशी के आँसू बहाए। उन्होंने मन ही मन श्री रघुनाथ जी को प्रणाम किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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