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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 21: हनुमान जी का तारा को समझाना और तारा का पति के अनुगमन का ही निश्चय करना
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श्लोक 11
श्लोक
4.21.11
संस्कार्यो हरिराजस्तु अङ्गदश्चाभिषिच्यताम्।
सिंहासनगतं पुत्रं पश्यन्ती शान्तिमेष्यसि॥ ११॥
अनुवाद
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‘वानरराज का अन्तिम संस्कार करो और कुमार अंगद का राज्याभिषेक करो। राजसिंहासन पर पुत्र को बैठे देखकर तुम्हें शांति मिलेगी’।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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