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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 21: हनुमान जी का तारा को समझाना और तारा का पति के अनुगमन का ही निश्चय करना
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श्लोक 1
श्लोक
4.21.1
ततो निपतितां तारां च्युतां तारामिवाम्बरात्।
शनैराश्वासयामास हनुमान् हरियूथप:॥ १॥
अनुवाद
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तब, आकाश से गिरे हुए तारे की तरह पृथ्वी पर पड़ी तारा को देखकर वानरराज हनुमान धीरे-धीरे उसको समझाने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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