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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 8
श्लोक
4.20.8
यान्यस्माभिस्त्वया सार्धं वनेषु मधुगन्धिषु।
विहृतानि त्वया काले तेषामुपरम: कृत:॥ ८॥
अनुवाद
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आपके साथ मधुमय सुगंध से भरे वनों में हमने जो-जो विहार किये हैं, उन सभी को आपने अब सदा के लिए समाप्त कर दिया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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