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श्लोक 13
श्लोक
4.20.13
रूपयौवनदृप्तानां दक्षिणानां च मानद।
नूनमप्सरसामार्य चित्तानि प्रमथिष्यसि॥ १३॥
अनुवाद
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निश्चय ही रूप-यौवन के अभिमान से भरी हुई दाक्षिणात्य अप्सराएँ आपके दिव्य सौन्दर्य को देखकर अपने मन में मोह उत्पन्न करने लगेंगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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