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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 2: सुग्रीव तथा वानरों की आशङ्का, हनुमान्जी द्वारा उसका निवारण तथा सुग्रीव का हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण के पास उनका भेद लेने के लिये भेजना
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श्लोक 8
श्लोक
4.2.8
ते क्षिप्रमभिगम्याथ यूथपा यूथपर्षभम्।
हरयो वानरश्रेष्ठं परिवार्योपतस्थिरे॥ ८॥
अनुवाद
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वे सभी वानर नायक शीघ्रतापूर्वक वानरों के सरदार वानर शिरोमणि सुग्रीव के पास पहुँचे और चारों ओर से उन्हें घेरकर खड़े हो गये।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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