श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 2: सुग्रीव तथा वानरों की आशङ्का, हनुमान्जी द्वारा उसका निवारण तथा सुग्रीव का हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण के पास उनका भेद लेने के लिये भेजना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  4.2.7 
 
 
तत: सुग्रीवसचिवा दृष्ट्वा परमधन्विनौ।
जग्मुर्गिरितटात् तस्मादन्यच्छिखरमुत्तमम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  तब सुग्रीव के सहायक दूसरे वानरों ने जब उन महाधनुर्धारी श्रीराम और लक्ष्मण को देखा, तो वे उस पर्वत की चोटी से भागकर दूसरे उत्तम शिखर पर चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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