श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 2: सुग्रीव तथा वानरों की आशङ्का, हनुमान्जी द्वारा उसका निवारण तथा सुग्रीव का हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण के पास उनका भेद लेने के लिये भेजना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  4.2.18 
 
 
बुद्धिविज्ञानसम्पन्न इङ्गितै: सर्वमाचर।
नह्यबुद्धिं गतो राजा सर्वभूतानि शास्ति हि॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  बुद्धि और विज्ञान से संपन्न होकर, दूसरों के द्वारा किये गए संकेतों से उनके मन की भावनाओं को समझें और उसी के अनुसार सभी आवश्यक कार्य करें। क्योंकि जो राजा बुद्धि और बल का आश्रय नहीं लेता, वह पूरी प्रजा पर शासन नहीं कर सकता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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