श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 2: सुग्रीव तथा वानरों की आशङ्का, हनुमान्जी द्वारा उसका निवारण तथा सुग्रीव का हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण के पास उनका भेद लेने के लिये भेजना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.2.16 
 
 
यस्मात् तव भयं सौम्य पूर्वजात् पापकर्मण:।
स नेह वाली दुष्टात्मा न ते पश्याम्यहं भयम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  सौम्य, जिस पापकर्म करने वाले बड़े भाई से तुम्हें भय लग रहा है, वह दुष्टात्मा वाली यहाँ नहीं पहुँच सकती है; अतः मुझे तुम्हारे डर का कोई कारण नहीं दिखायी पड़ता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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