श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 2: सुग्रीव तथा वानरों की आशङ्का, हनुमान्जी द्वारा उसका निवारण तथा सुग्रीव का हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण के पास उनका भेद लेने के लिये भेजना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  4.2.13 
 
 
ततस्तु भयसंत्रस्तं वालिकिल्बिषशङ्कितम्।
उवाच हनुमान् वाक्यं सुग्रीवं वाक्यकोविद:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर जब हनुमान जी ने सुग्रीव को बालि के द्वारा हानि पहुंचाने के भय से विचलित देखा, तब वाक चतुर हनुमान जी ने उनसे कहा:
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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