श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  2.93.9 
 
 
गिरे: सानूनि रम्याणि चित्रकूटस्य सम्प्रति।
वारणैरवमृद्यन्ते मामकै: पर्वतोपमै:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  इस समय मेरे विशाल हाथी चित्रकूट के रमणीय शिखरों को ध्वस्त कर रहे हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.