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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन
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श्लोक 8
श्लोक
2.93.8
अयं गिरिश्चित्रकूटस्तथा मन्दाकिनी नदी।
एतत् प्रकाशते दूरान्नीलमेघनिभं वनम्॥ ८॥
अनुवाद
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यह चित्रकूट पर्वत है और वह मन्दाकिनी नदी है। पर्वत के आस-पास का वन दूर से नीले मेघ के समान चमक रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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