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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन
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श्लोक 26
श्लोक
2.93.26
एवमुक्तास्तत: सैन्यास्तत्र तस्थु: समन्तत:।
भरतो यत्र धूमाग्रं तत्र दृष्टिं समादधत्॥ २६॥
अनुवाद
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भरत के आदेश मिलते ही सैनिक चारों ओर फैल गए और वहीं खड़े हो गए। भरत ने उस दिशा में अपनी दृष्टि टिका दी जहाँ से धुआँ उठ रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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