श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.93.24 
 
 
तच्छ्रुत्वा भरतस्तेषां वचनं साधुसम्मतम्।
सैन्यानुवाच सर्वांस्तानमित्रबलमर्दन:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  शत्रु सेना का नाश करने वाले भरत ने सब सैनिकों से कहा : उनकी बातें श्रेष्ठ पुरुषों के द्वारा मानने योग्य थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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