श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.93.23 
 
 
अथ नात्र नरव्याघ्रौ राजपुत्रौ परंतपौ।
अन्ये रामोपमा: सन्ति व्यक्तमत्र तपस्विन:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि वीर योद्धा राजकुमार श्रीराम और लक्ष्मण यहाँ उपस्थित न हों तो भी श्रीराम-जैसे तेजस्वी गुणों से संपन्न अन्य तपस्वी अवश्य ही होंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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