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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन
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श्लोक 19
श्लोक
2.93.19
मृगा मृगीभि: सहिता बहव: पृषता वने।
मनोज्ञरूपा लक्ष्यन्ते कुसुमैरिव चित्रिता:॥ १९॥
अनुवाद
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इस वन में हिरणों और हिरणियों के झुंड ऐसे दिखाई देते हैं जैसे वे फूलों से सजे हों। उनकी उपस्थिति और हरकतें मन को मोह लेती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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