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श्लोक 15
श्लोक
2.93.15
खुरैरुदीरितो रेणुर्दिवं प्रच्छाद्य तिष्ठति।
तं वहत्यनिल: शीघ्रं कुर्वन्निव मम प्रियम्॥ १५॥
अनुवाद
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घोड़ों के खुरों से उड़ने वाली धूल आकाश को ढँक लेती है, लेकिन हवा उसे तुरंत दूसरी दिशा में उड़ा देती है। इससे लगता है कि हवा मेरी प्रिय हो रही है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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