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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन
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श्लोक 14
श्लोक
2.93.14
निष्कूजमिव भूत्वेदं वनं घोरप्रदर्शनम्।
अयोध्येव जनाकीर्णा सम्प्रति प्रतिभाति मे॥ १४॥
अनुवाद
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अयोध्यापुरी के नागरिकों के जंगल में आने से यह वन अब भयानक नहीं लगता। बल्कि लोगों से भरा होने के कारण यह मुझे अयोध्यापुरी जैसा प्रतीत हो रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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