श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  2.93.11 
 
 
किंनराचरितं देशं पश्य शत्रुघ्न पर्वते।
हयै: समन्तादाकीर्णं मकरैरिव सागरम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो शत्रुघ्न, जहाँ पर्वत में किन्नर रहते हैं, वह प्रदेश हमारी सेना के घोड़ों से घिरा हुआ समुद्र की तरह दिखाई दे रहा है जिसमें मगरमच्छ भरे हुए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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