श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 93: सेना सहित भरत की चित्रकूट-यात्रा का वर्णन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  2.93.1 
 
 
तया महत्या यायिन्या ध्वजिन्या वनवासिन:।
अर्दिता यूथपा मत्ता: सयूथा: सम्प्रदुद्रुवु:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  सम्पूर्ण वाहिनी से आक्रांत वनवासी हाथियों का समूह अपने-अपने झुंड के साथ भाग खड़ा हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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