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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना
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श्लोक 9
श्लोक
2.89.9
उत्तिष्ठत प्रबुध्यध्वं भद्रमस्तु हि व: सदा।
नाव: समुपकर्षध्वं तारयिष्यामि वाहिनीम्॥ ९॥
अनुवाद
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उठो और जागो, तुम्हारा कल्याण सदैव हो। नौकाओं को पास लाओ। मैं भरत की सेना को गंगा नदी के उस पार ले जाऊंगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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