वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना
»
श्लोक 5
श्लोक
2.89.5
कच्चित् सुखं नदीतीरेऽवात्सी: काकुत्स्थ शर्वरीम्।
कच्चिच्च सहसैन्यस्य तव नित्यमनामयम्॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
आपने नदी के तट पर रात आराम से बिताई है न भरतजी? आपकी सेना सहित, कोई भी असुविधा नहीं हुई है? आपका स्वस्थ्य उत्तम है न?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.