श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.89.23 
 
 
स ब्राह्मणस्याश्रममभ्युपेत्य
महात्मनो देवपुरोहितस्य।
ददर्श रम्योटजवृक्षदेशं
महद्वनं विप्रवरस्य रम्यम्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  देवपुरोहित महात्मा ब्राह्मण भरद्वाज मुनि के आश्रम में पहुँचकर भरत ने देखा कि वन बहुत ही सुंदर और विशाल था। यह मनोहर पत्तियों और वृक्षों की पंक्तियों से सुशोभित था।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे एकोननवतितम: सर्ग:॥ ८९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें नवासीवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ८९॥
 
 
 
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