श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.89.22 
 
 

आश्वासयित्वा च चमूं महात्मा
निवेशयित्वा च यथोपजोषम्।
द्रष्टुं भरद्वाजमृषिप्रवर्य-
मृत्विक्सदस्यैर्भरत: प्रतस्थे॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  महात्मा भरत वहाँ पहुँचकर सेना को आराम करने की आज्ञा देते हैं और उसे प्रयाग वन में रखते हैं। फिर, वे स्वयं ऋत्विजों और राजसभा के सदस्यों के साथ ऋषि भरद्वाज से मिलने जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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