वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना
»
श्लोक 21
श्लोक
2.89.21
सा पुण्या ध्वजिनी गङ्गां दाशै: संतारिता स्वयम्।
मैत्रे मुहूर्ते प्रययौ प्रयागवनमुत्तमम्॥ २१॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस तरह नाविकों की मदद से पुण्यमयी सेना को गंगा नदी के पार उतारा गया। फिर राजा मैत्र नामक शुभ मुहूर्त में उत्तम प्रयाग वन की ओर प्रस्थान कर गए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.