श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  2.89.21 
 
 
सा पुण्या ध्वजिनी गङ्गां दाशै: संतारिता स्वयम्।
मैत्रे मुहूर्ते प्रययौ प्रयागवनमुत्तमम्॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  इस तरह नाविकों की मदद से पुण्यमयी सेना को गंगा नदी के पार उतारा गया। फिर राजा मैत्र नामक शुभ मुहूर्त में उत्तम प्रयाग वन की ओर प्रस्थान कर गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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