श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  2.89.19 
 
 
सवैजयन्तास्तु गजा गजारोहै: प्रचोदिता:।
तरन्त: स्म प्रकाशन्ते सपक्षा इव पर्वता:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  वैजयन्ती पताकाओं से सुशोभित हस्तियों ने महावतों द्वारा प्रेरित होकर नदी पार करना शुरू कर दिया। उस समय वे पक्षियों वाले पर्वतों के समान प्रतीत हो रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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