श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 89: भरत का सेना सहित गङ्गापार करके भरद्वाज के आश्रम पर जाना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  2.89.17 
 
 
नारीणामभिपूर्णास्तु काश्चित् काश्चित् तु वाजिनाम्।
काश्चित् तत्र वहन्ति स्म यानयुग्यं महाधनम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  अनेक नावें केवल स्त्रियों से भरी हुई थीं। कुछ नावों पर घोड़े थे और कुछ नावें गाड़ियाँ, बैलों द्वारा खींचे जाने वाले रथ, खच्चर, बैल आदि वाहनों और बहुमूल्य रत्न आदि को ले जा रही थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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