कुछ सैनिकों ने बड़ी-बड़ी मशालें जलाईं और शिविर में छूटी हुई वस्तुओं को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। कुछ लोग जल्दी से नदी तट पर उतरने लगे और कई सैनिक अपने सामान को पहचानकर बोलने लगे, "यह मेरा है, यह मेरा है"। उस समय जो शोरगुल मच गया, वह आकाश में गूँज उठा।