सबसे पहले पुरोहित, गुरु और ब्राह्मण उस नाव पर सवार हुए। इसके बाद, भरत, शत्रुघ्न, कौसल्या, सुमित्रा, कैकेयी और राजा दशरथ की अन्य रानियां नाव पर चढ़ीं। तत्पश्चात, राजपरिवार की अन्य स्त्रियाँ नाव पर बैठीं। गाड़ियाँ और क्रय-विक्रय की सामग्री अन्य नावों पर लादी गई।