श्रीराम अब धरती पर कैसे सो रहे होंगे, जिन्हें गीतों और वाद्यों की ध्वनियों से, श्रेष्ठ आभूषणों की झनकारों से और मृदंगों के मधुर शब्दों से सदा जगाया जाता था? जिनकी समय-समय पर वन्दीगण वंदना करते थे और सूत और मागध उनकी वीरता की गाथाएँ गाते थे और उनकी स्तुति करते थे।