श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 88: श्रीराम की कुश-शय्या देखकर भरत का स्वयं भी वल्कल और जटाधारण करके वन में रहने का विचार प्रकट करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  2.88.11 
 
 
न नूनं दैवतं किंचित् कालेन बलवत्तरम्।
यत्र दाशरथी रामो भूमावेवमशेत स:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  निश्चय ही काल से अधिक शक्तिशाली कोई दूसरा देवता नहीं है, जिसके प्रभाव के कारण दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम को भी इस प्रकार भूमि पर सोना पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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