वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 88: श्रीराम की कुश-शय्या देखकर भरत का स्वयं भी वल्कल और जटाधारण करके वन में रहने का विचार प्रकट करना
»
श्लोक 1
श्लोक
2.88.1
तच्छ्रुत्वा निपुणं सर्वं भरत: सह मन्त्रिभि:।
इङ्गुदीमूलमागम्य रामशय्यामवैक्षत॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
निपुणता से सब कुछ सुनने के पश्चात् भरत ने मंत्रियों के साथ इंगुदी वृक्ष की जड़ के पास पहुँचकर श्री रामचंद्र जी की शय्या का निरीक्षण किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.