श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 87: भरत की मूर्छा से गुह, शत्रुघ्न और माताओं का दुःखी होना, भरत का गुह से श्रीराम आदि के भोजन और शयन आदि के विषय में पूछना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.87.13 
 
 
भ्राता मे क्वावसद् रात्रौ क्व सीता क्व च लक्ष्मण:।
अस्वपच्छयने कस्मिन् किं भुक्त्वा गुह शंस मे॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  "गुह, उस दिन रात में मेरे भाई भगवान राम कहाँ ठहरे थे? माता सीता कहाँ थीं? और लक्ष्मण कहाँ रहे? उन्होंने क्या भोजन किया और किस प्रकार के बिछौने पर सोए? ये सब बातें मुझे विस्तार से बताओ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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