गुह के श्रीराम के जटाधारण आदि से सम्बन्ध रखने वाले अत्यन्त अप्रिय वचन सुनकर भरत को बड़ी चिंता सताने लगी। जिन श्रीराम को पाने के लिए वह प्रयासरत थे, उन्हीं के विषय में उन्होंने अप्रिय बात सुनी थी, इसलिए वे सोचने लगे कि अब उनका मनोरथ पूर्ण नहीं हो पायेगा। भगवान राम ने जब जटा धारण कर ली, तब वे शायद ही लौटें।