मार्ग में बने हुए विश्राम-स्थान इन्द्रपुरी की तरह ही शोभायमान दिखते थे। इन विश्राम-स्थलों के चारों ओर खाइयाँ खोदी गई थीं और धूल-मिट्टी के ऊँचे ढेर लगाए गए थे। खेमों के अंदर इन्द्रनीलमणि से बनी हुई प्रतिमाएँ सजाई गई थीं, जो गलियों और सड़कों पर विशेष शोभा दे रही थीं। राजकीय गृहों और देव स्थानों से युक्त ये शिविर चूने पुते हुए प्राकारों (चहारदीवारियों) से घिरे थे। सभी विश्राम स्थान पताकाओं से सुशोभित थे। हर जगह बड़ी-बड़ी सड़कों का सुंदर ढंग से निर्माण किया गया था। कबूतरों के रहने के स्थानों (कावकों) और ऊँचे-ऊँचे श्रेष्ठ विमानों के कारण उन सभी शिविरों की शोभा और बढ़ गई थी।