नक्षत्रेषु प्रशस्तेषु मुहूर्तेषु च तद्विद:।
निवेशान् स्थापयामासुर्भरतस्य महात्मन:॥ १७॥
अनुवाद
वास्तु-विद्या के ज्ञान रखनेवाले विद्वानों ने शुभ नक्षत्रों और मुहूर्तों में महात्मा भरत जी के ठहरने के लिए जिन-जिन स्थानों का निर्माण करवाया था, उनकी प्रतिष्ठा की गई।