श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 78: शत्रुज का रोष, उनका कुब्जा को घसीटना और भरतजी के कहने से उसे मूर्च्छित अवस्था में छोड़ देना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.78.23 
 
 
इमामपि हतां कुब्जां यदि जानाति राघव:।
त्वां च मां चैव धर्मात्मा नाभिभाषिष्यते ध्रुवम्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘धर्मात्मा श्रीरघुनाथजी तो इस कुब्जाके भी मारे जानेका समाचार यदि जान लें तो वे निश्चय ही तुमसे और मुझसे बोलना भी छोड़ देंगे’॥ २३॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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