श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 78: शत्रुज का रोष, उनका कुब्जा को घसीटना और भरतजी के कहने से उसे मूर्च्छित अवस्था में छोड़ देना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.78.13 
 
 
तत: सुभृशसंतप्तस्तस्या: सर्व: सखीजन:।
क्रुद्धमाज्ञाय शत्रुघ्नं व्यपलायत सर्वश:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब उसकी सारी सखियाँ अत्यंत संतप्त हो गईं और शत्रुघ्न को कुपित समझकर हर ओर भाग गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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