श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 78: शत्रुज का रोष, उनका कुब्जा को घसीटना और भरतजी के कहने से उसे मूर्च्छित अवस्था में छोड़ देना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  2.78.12 
 
 
एवमुक्त्वा च तेनाशु सखीजनसमावृता।
गृहीता बलवत् कुब्जा सा तद् गृहमनादयत्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  शत्रुघ्न ने यह कहते हुए सखियों से घिरी हुई कुब्जा को तुरंत ही बलपूर्वक पकड़ लिया। इससे कुब्जा डर गई और वह जोर-जोर से चीखने लगी। उसकी चीख से पूरा महल गूंज उठा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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