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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 72: भरत का कैकेयी से पिता के परलोकवास का समाचार पा दुःखी हो विलाप करना,कैकेयी द्वारा उनका श्रीराम के वनगमन के वृत्तान्त से अवगत होना
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श्लोक 8
श्लोक
2.72.8
अद्य मे सप्तमी रात्रिश्च्युतस्यार्यकवेश्मन:।
अम्बाया: कुशली तातो युधाजिन्मातुलश्च मे॥ ८॥
अनुवाद
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(वे बोले-) माँ! आज मुझे ननिहाल से निकले हुए सात रातें हो गई हैं। मेरे नाना और मामा युधाजित पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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